The Greatest Guide To best hindi story

मोती भी उसको अपने हाथों से रोटी खिलाता।

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Within the large area of literature, Hindi language fiction stands as being a testomony to your rich cultural landscape of India. Hindi literature has progressed through the years, offering viewers a kaleidoscope of narratives that replicate the myriad aspects of human practical experience.

माँ को अपने बेटे, साहूकार को अपने देनदार और किसान को अपने लहलहाते खेत देखकर जो आनंद आता है, वही आनंद बाबा भारती को अपना घोड़ा देखकर आता था। भगवत-भजन से जो समय बचता, वह घोड़े को अर्पण हो जाता। वह घोड़ा बड़ा सुंदर था, बड़ा बलवान। उसके जोड़ का घोड़ा सारे सुदर्शन

एक झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों प्रेमचंद

नीचे लिखी गयी सभी कहानियां शिक्षाप्रद होने के साथ पढ़ने में भी मजेदार है। हर एक कहानी आपको जीवन को सही तरीके से बीतने की शिक्षा देते हैं।

समष्टि में इनके अर्थ हैं कि तू जीने योग्य है, तू भाग्योंवाली है, पुत्रों को प्यारी है, लंबी उमर तेरे सामने है, तू क्यों मेरे पहिए के नीचे आना चाहती है, बच जा."

कोई भी पाठक, जैसे ही इस कहानी website को पढ़ना शुरू करता है वो इसकी विवरणात्मकता और व्यंजना के जादू से बंध कर रह जाता है.

घसीटते -घसीटते वह अपने घर पहुंच गई। उसके मम्मी – पापा और भाई-बहनों ने देखा तो वह भी दौड़कर आ गए। टॉफी उठाकर अपने घर के अंदर ले गए।

शेरू बहुत खुश हुआ उस रोटी को लेकर गाड़ी के नीचे भाग गया। वहीं बैठ कर खाने लगा।

जतनपुर में लोग बीमार हो रहे थे। डॉक्टर ने बीमारी का कारण मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है। उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती, वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे।

इसके अलावा रघुवीर सहाय, कुँवर नारायण, श्रीकांत वर्मा ने भी भाषा, बनावट, कथावस्तु, जीवनानुभवों की इतनी अलग और अनमोल कहानियाँ लिखी हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.

कहानी के जोबन का उभार और बोल-चाल की दुलहिन का सिंगार किसी देश में किसी राजा के घर एक बेटा था। उसे उसके माँ-बाप और सब घर के लोग कुँवर उदैभान करके पुकारते थे। सचमुच उसके जीवन की जोत में सूरज की एक सोत आ मिली थी। उसका अच्छापन और भला लगना कुछ ऐसा न था जो इंशा अल्ला ख़ाँ

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